नगांव, 12 अक्टूबर — काकी क्षेत्र के प्रमुख सांस्कृतिक स्तंभ और बहुमुखी प्रतिभा के धनी मुकुल पातर का आज सुबह 5 बजे नगांव के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। 56 वर्षीय पातर लंबे समय से मधुमेह से जूझ रहे थे। बुधवार की सुबह उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली।
मुकुल पातर अपने पीछे अपनी वृद्ध मां और एकमात्र पुत्र मृदुल पातर को छोड़ गए हैं। मृदुल एक सफल उद्यमी हैं और अपने पिता के योगदान और विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
पत्रकारिता से अपने करियर की शुरुआत करने वाले पातर ने लेखन, कविताओं, अभिनय, निर्देशन और नाट्यकला में अमिट छाप छोड़ी। काकी के प्रत्येक सांस्कृतिक कार्यक्रम में उनकी सक्रिय भागीदारी रही। उनकी लेखनी और नाटकों के माध्यम से समाज के विभिन्न मुद्दों को उजागर करने का उनका प्रयास बेहद सराहनीय रहा है।
उनके निधन से क्षेत्रीय साहित्य और रंगमंच में एक बड़ी क्षति हुई है। उनके निर्देशन में कई महत्वपूर्ण नाटकों का मंचन हुआ, जो सामाजिक जागरूकता और परिवर्तन का माध्यम बने। पातर अपनी अंतिम समय तक कला और संस्कृति के प्रति समर्पित रहे और अपने क्षेत्र के नवोदित कलाकारों का मार्गदर्शन करते रहे।
उनका जाना न केवल परिवार बल्कि काकी के कला और साहित्य प्रेमियों के लिए भी एक बड़ी क्षति है।